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हिंदू विरोधी तत्वों के दबाव में है राज्य सरकार – रामनवमी जुलूस की अनुमति नहीं मिलने पर बाबूलाल मरांडी 

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रांची 

पाकुड़ जिला प्रशासन ने रामनवमी आयोजन समिति, पाकुड़ को रामनवमी जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी। यह आयोजन 6 अप्रैल को पाकुड़ के ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न गांवों की भागीदारी के साथ प्रस्तावित था। अनुमित नहीं दिये जाने पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सरकारी नीयत पर सवाल उठाये हैं। मरांडी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा है, पाकुड़ जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को रामनवमी का जुलूस निकालने से रोकने के लिए आधी रात को जारी किया गया आदेश हिंदू आस्था पर सीधा प्रहार है। पाकुड़ में जब ताजिये निकल सकते हैं, तो फिर रामनवमी का जुलूस क्यों नहीं? सरकार ने आज रामनवमी पर रोक लगाई है, कल दीपावली और दुर्गा पूजा पर भी इसी तरह तुगलकी फरमान जारी होंगे।

मरांडी ने आगे कहा, हिंदू विरोधी तत्वों के दबाव में प्रशासनिक व्यवस्था का झुक जाना, लोकतंत्र के लिए खतरा है। झारखंड में ये कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि एक चलन बनता जा रहा है, जहां हिंदू पर्वों को कानून-व्यवस्था के नाम पर बाधित किया जा रहा है, जबकि विशेष समुदाय को हर सुविधा दी जाती है। ऐसा लगता है कि हेमंत सरकार ने कट्टरपंथियों के दबाव में पाकुड़ को अघोषित रूप से ग्रेटर बांग्लादेश बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। 

अनमति नहीं देने का प्रशासन ने क्या बताया है कारण 

प्रशासन की ओर से कहा गया है कि रामनवमी पर्व 2025 के अवसर पर आयोजित होने वाली शोभा यात्रा को लेकर रामनवमी आयोजन समिति, जिला-पाकुड़ द्वारा दिए गए आवेदन पर प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है। यह आयोजन 6 अप्रैल को पाकुड़ के ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न गांवों की भागीदारी के साथ प्रस्तावित था। बताया गया है कि रामनवमी आयोजन समिति के प्रसन्ना मिश्रा द्वारा 4 अप्रैल को दिए गए आवेदन में कोलाजोड़ा, समसेरा, शहरकोल, गोकुलपुर, नगरनवी, झिकरहार्टी, पिरलीपुर, बहिरग्राम और चेंगाडांगा समेत अन्य गांवों के लोगों की उपस्थिति में पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र, धार्मिक ध्वज एवं ध्वनि विस्तारक यंत्रों के साथ शोभा यात्रा निकालने की जानकारी दी गई थी। साथ ही कार्यक्रम में सहयोग एवं सुरक्षा व्यवस्था की मांग भी की गई थी।
प्रशासन की ओर से आवेदन पर थाना प्रभारी, पाकुड़ नगर से जांच प्रतिवेदन मांगा गया था, जो निर्धारित समय पर प्राप्त नहीं हो सका। इसके अलावा आवेदन में जुलूस में भाग लेने वालों की वास्तविक संख्या का उल्लेख नहीं था और न ही शोभा यात्रा के लिए आवश्यक लाइसेंस से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे। इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने विधि-व्यवस्था के मद्देनजर शोभा यात्रा की अनुमति नहीं दी। 

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